रविवार, 25 अप्रैल 2010

ए.के. दिनकर की कविताएं




ए.के.दिनकर


एक -

मेरा हिन्दुस्तान रहेगा

वो  थे पागल इंसान
जिन्होंने मचाया था तुफान
शैतानी दिमाग था उनका
न कोई मजहब था न ईमान।

क्या कसूर था उनका जो सब मारे गये इंसान
बेकसूर थे वे लोग, थे हिन्दू भी और मुसलमान।

हमें फख़ है अपने जवानों पर
जिन्होंने वतन की खातिर किया कमाल
सूबों की तुच्छ दीवारें तोडकर
मुल्क परिधी की दी है मिशाल।

इंताहा हो गयी है हमारे सब्र की 
ए दुश्मनों, सब्र का इंतहा न लो आगे
हमारी खामोशी को कायरता न समझो
खाक हो जाओंगे हमारे जलाल के आगे।

हम हिन्दुस्तानी अपनी ताकत पर अकडते नहीं 
पर दुश्मन सामने आये तो कभी डरते नहीं
शेर की मांद में हाथ मत डालों सियारों
जिन्दा न बचोगे, हमारे आगे दुश्मन छहरते नहीं।

जब कभी बाहर से मुसीबत आई है
हम सबने एक होकर ताकत जुटाई है
कौम मजहब सुबावाद भूलाकर 
देश पर मरने की कसम खाई है।

ये वतनपरस्ती का जज्बा है दुनियावालों 
सबसे पहले यहाँ हर आदमी हिन्दुस्तानी  है।
युगों-युगों तक प्यारा हिन्दुस्तान रहेगा
इस मुल्क की यही कहानी है।


दो -

हम तो गुनाह करने से भी डरते यहाँ
लोग तो गुनाह पे गुनाह किये जाते हैं
चारों तरफ देखते हैं झूठ फरेब का मंजर
फिर भी उसी शिद्दत से हम जिये जाते हैं।

पुराना फलसफा शायद दफन हो गया है
दोस्त बनकर ही यहाँ दुश्मनी निभाते हैं
दुश्मन तो सामने से वार करते हैं फिर भी 
दोस्त तो पीठ में ही खंजर चुभाते हैं

प्यार मुहब्बत से क्यों न जाने रहा नहीं जाता
दूसरों का छोटा सा आशियाना देखा नहीं जाता
कोई किस तरह जी रहा है सकून से जहाँ में 
अरे बख्शो भी उसे, क्या मुस्कराना उसका देखा नहीं जाता।

ये दुनिया का कैसा दस्तूर है दिनकर
यहाँ अपने भी पराये क्यों नजर आते हैं
नजर से नजर मिलाते से बचते है क्यों
शायद दिल साफ नहीं जो नजर से नजर चुराते हैं। 

तीन -
हरेक से होती नहीं दोस्ती 
निभाना बडा मुश्किल है दोस्ती 
छल कपट की मेरी दोस्ती में जगह ही नहीं
गोया खुली किताब है मेरी दोस्ती

समझ के दोस्ती करना मेरे दोस्त
बडी नाजूक मिजाज है मेरी दोस्ती
दोस्ती में दगा कभी देना नहीं
सदमा ये झेल न पायेगी मेरी दोस्ती

दोस्ती पे मरने की कसमें खाते यहाँ
जीने की राह दिखलाएगी मेरी दोस्ती
समंदर की गहराई है मेरी देस्ती में 
गोया आसमान से उँची है मेरी दोस्ती

कहने को लोग दोस्ती का गम भरते यहाँ
मेरी हर सांस में समाई है दोस्ती
मेरी दोस्ती दिमाग से सोचती नहीं 
दिल से निकल के आई है मेरी दोस्ती 


(रचनाकार एम.टी.एल.एल. में महाप्रबंधक पद पर कार्यरत हैं।

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

भोजपुरी सिनेमा के एक्शन में नया आगाज प्रेम नागवंशी

भोजपुरी सिनेमा के एक्शन में नया आगाज 
 प्रेम नागवंशी


अब भोजपुरी फिल्मों का ऐसा दौर शुरू है कि तमाम लोगों लोगों को इस इंडस्ट्रीज से बडी उम्मीद सी बध गयी है और भोजपुरिया दर्शक भी उत्साहित है। भोजपुरी सिनेमा में एक मुकाम हासिल करने के उद्देश्य से अपने अभिनय का लोहा मनवा रहे अभिनेता प्रेम नागवंशी इन दिनों बहुत व्यस्त है। 
प्रेम नागवंशी मुंबई एक सपना लेकर आए और आज दिनों-दिन अभिनय करके अपने मुकाम को छूते नजर आ रहे है। 
बकौल प्रेम नागवंशी 'एक्शन इमेज' मेरे अभिनय का एक हिस्सा है। मैं एक्शन के साथ-साथ अन्य वे सभी भूमिकाएं कर सकता हूँ जो मेरे अनुकूल है। इसका एक बेहतरीन नमूना  आपको मेरी आनेवाली फिल्मों में देखने को मिला है और आनेवाली फिल्मों में मिलेगा।

एक्शन स्टार प्रेम नागवंशी की अब तक प्रदर्शित फिल्मों में 'कहवा के बंधन कहवा जुड जाला' , 'तोहार नईखे कवनो जो तू बेजोड बाडू हो' इत्यादि। वहीं दूसरी तरफ बतौर मुख्य कलाकार प्रेम नागवंशी की आगामी फिल्म है एतना सतईब त हम मरि जाइब'। इस फिल्म की शूटिंग जल्द ही शुरू होनेवाली है। 

संपर्क : प्रेम नागवंशी, 

09833090322
ईमेल : prem.nagvanshi@yahoo.com

दीक्षित दनकौरी के सम्मान में काव्यगोष्ठी



चित्र में बाएँ से डा.वेदप्रकाश (माइक पर), संजीव निगम, मुंबई विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के एशो. प्रोफेसर डा. करुणाशंकर उपाध्याय,
डा.सुधाकर मिश्र, शायर दीक्षित दनकौरी, हस्तीमल हस्ती और अजय चौबे









चित्र में बाएँ से डा.वेदप्रकाश (माइक पर),  मुंबई विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के एशो. प्रोफेसर डा. करुणाशंकर उपाध्याय का सम्मान करते हुए अजय चौबे