शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद और विश्व हिंदी सेवा सम्मान अलंकरण समारोह

अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद और विश्व हिंदी सेवा सम्मान अलंकरण समारोह उज्जैन में सम्पन्न

हिंदीसेवियों को विश्व हिंदी सेवा सम्मान से विभूषित किया गया






उज्जैन/हिन्दी दिवस के अवसर पर उज्जैन में अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद और विश्व हिंदी सेवा सम्मान अलंकरण समारोह का आयोजन हुआ। परिसंवाद‘विश्व पटल पर हिन्दी का बदलता स्वरूप’ पर एकाग्र था । इसमौके पर उत्कृष्ट हिंदी सेवा के लिए देशदुनिया के अनेक साहित्यकार,संस्कृतिकर्मी और हिंदीसेवियों को विश्व हिंदी सेवा सम्मान से विभूषित किया गया। समारोह उज्जैन स्थित कालिदास संस्कृत अकादमी में दो सत्रों में संपन्न हुआ। विविध गद्यपद्य और अन्य विधाओं जैसे कविता ,गीत,उपन्यास , कहानी,आलोचना ,संचार माध्यम ,ब्लोगिंग, सिनेगीत वर्गों के अंतर्गत ये अलंकरण अर्पित किए गए।

मालवा रंगमंच समिति, उज्जैन और कृतिका कम्यूनिकेशन,मुंबई के संस्थापक अध्यक्ष श्री केशव राय ने बताया कि इस कार्यक्रम का स्थान बहुत सोच-विचार के साथ उज्जयिनी को चुना गया । यहाँ से सदैव ही परिवर्तन की हवा चलती आई है। अब आगे की हमारी भाषा , हमारी संस्कृति की दिशा का निर्धारण भी यहीं से हो ,यह जरूरी है। इस अवसर पर उत्कृष्ट हिंदी सेवा के लिए दुनिया के अनेक देशों के साहित्यकार और हिंदीसेवियों को विश्व हिंदी सम्मान से विभूषित गया । यहाँ सम्मानित हुये लोगों में अपने पहले ही उपन्यास से चर्चा में आयीं महुआ मांझी[रांची], विदेश में हिन्दी की ध्वजा फहराने वाली लेखिका डॉ.अन्जना संधीर[युएसए], नवनीत के सम्पादक श्री विश्वनाथ सचदेव [मुंबई],थ्री इडियत के गीतकार स्वानंद किरकिरे,सिनेजगत की मशहूर गायिका कविता सेठ, कवि देवमणि पाण्डे,डॉ त्रिभुवननाथशुक्ल [भोपाल] , डॉ.नन्दलाल पाठक[मुंबई] ऐतिहासिक उपन्यासकार डॉ.शरद पगारे ,गीतकार चंद्रसेन विराट[इंदौर],भड़ास फॉर मीडिया के यशवंत सिंह [दिल्ली ],आचार्य एवं समीक्षक डॉ.शैलेन्द्रकुमार शर्मा[उज्जैन ,कथाकार एस आर हरनोट [शिमला], मुंबई विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के  प्रोफेसर और सुप्रसिद्ध समीक्षक  डॉ करुणाशंकर उपाध्याय [मुंबई] गायत्री शर्मा ,भीका शर्मा [इंदौर]आदि शामिल हैं।इस मौके पर प्रकाशित स्मारिका ‘हिन्दी विश्व’ का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।

‘विश्व पटल पर हिन्दी का बदलता स्वरूप’ पर एकाग्र परिसंवाद वरिष्ठ पत्रकार श्री विश्वनाथ सचदेव [मुंबई] की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। परिसंवाद का विषय प्रवर्तन विक्रम विश्वविद्यालय ,उज्जैन के आचार्य एवं समीक्षक डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने किया। परिसंवाद में शामिल होने वाले विद्वानों में डॉ त्रिभुवननाथ शुक्ल [भोपाल], प्रसिद्ध सिने गीतकार श्री स्वानन्द किरकिरे, कविता सेठ,डॉ.नन्दलाल पाठक[मुंबई],यशवंत सिंह [दिल्ली ],डॉ, अंजना संधीर,महुआ मांझी ,जवाहर कर्नावट [अहमदाबाद] आदि प्रमुख थे। काव्य संध्या में श्री स्वानन्द किरकिरे [मुंबई] ,यशवंत सिंह [दिल्ली ], नेहा शरद ,डॉ.शिव चौरसिया, श्री पवन जैन, श्री देवमणि पाण्डे [मुंबई] ,डॉ पिलकेन्द्र अरोरा आदि ने अपनी रचनाओं से मंत्रमुग्ध किया।

1 टिप्पणी:

  1. वेदप्रकश जी,
    आपने आकृति देवयोगिनी अथवा आकृति देवप्रियंका से यूनिकोड और यूनिकोड से ...इन दोनों में फान्ट कन्वर्ट करने का उपाय पूछा है।

    कृपया इन्हें आजमाएँ और बताएँ कि इनमें क्या-क्या गलतियाँ हो रहीं हैं। आप बताएंगे तो इन्हें ठीक किया जा सकता है।

    अपना प्रश्न/समस्या/राय वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिन्दी चर्चा समूह पर भेजें या सीधे मुझे इमेल करें. (anunad@gmail.com)

    (1) Akrutil-to-Unicode+Converter01.html

    https://docs.google.com/open?id=0B06JOlm5x83YYnI0TEZKcDFRRktoeDRqNXVHamYwUQ



    (2) AkrutiDevChakra to Unicode Converter_5.html

    https://docs.google.com/file/d/0B06JOlm5x83YZjExYTQ2ODItMDA4ZC00NGY0LWI5ZGMtOGI1YWQ0NjJiZmNj/edit?pli=1

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